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मानवता या दानवता एक नजर में !

LIFE VIEW
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आज जब दुनिया में साक्षरता की दर बढ रही है , मानव सभ्यता विकास की चरम सीमाओं को छूने वाली है , फिर भी मनुष्य की मानसिकता नहीं बदल रही है . मानव विकास की अंधी दौड़ में लगातार दौड़ लगा रहा है , उसे एक मिनट की भी फुर्सत नहीं है की वह अपने घर परिवार के सदस्यों के साथ मिल बैठ कर प्यार से दो टूक बात कर सके . इस विकास का क्या मतलब जिसमे मानव अपना सब कुछ खो दे , क्या पैसा ही जीवन का आधार है ? माँ की ममता ,पिता का स्नेह, बच्चो का प्यार ,बीबी की मुहब्बत का कोई मोल नहीं रह गया है , क्या पैसे से ही सबको खुश किया जा सकता है ? आज पैसे ने मनुष्य के अंदर अहंकार का बीज बो दिया है ,पैसे के लिए आदमी रिश्तों का भी गला घोटने से बाज नहीं आ रहा है , पैसे के लिए बाप बेटा का तो बेटा बाप का गला काट दे रहा है, क्या यही विकास की परिभाषा है ? मनुष्य जितना ही ज्ञानी होता जा रहा है उतना ही भ्रस्ट होता जा रहा है , क्यों की उसको अपने ज्ञान पर अहंकार हो गया है , वह सोचता है की हम कुछ भी करके अपने ज्ञान के बल पर बच सकते है .किसी ने ठीक ही कहा है की ^ मानव की बुद्धिमत्ता ही सारी बुराइयों की जड़ है ^ आज जगह जगह गला काट प्रतियोगिताएं हो रही है , हर आदमी यह सोच रहा है की हम दुसरे से कैसे आगे बढ जाये . जिसके लिए वह कुछ भी कर गुजरने से बाज नहीं आ रहा है ,चाहे उसके इस ब्यवहार से किसी का अहित क्यों न हो रहा हो , आज पैसे के लिए राजनेता लोग देश को भी दाव पर लगा दे रहे है , लेकिन फिर भी हम उन्ही लोगो को अपना रहनुमा चुन रहे . आज एक गरीब बाप की बेटी की शादी में कोई सहयोग नहीं दे रहा है लेकिन नेताओं को पैसे से तौला जा रहा है , भारी भरकम चंदा इकट्ठा हो जा रहा है .पैसे के खातिर बहु बेटियों को जिन्दा जला दिया जा रहा है , सीधे साधे आदमियों का समाज में मजाक उड़ाया जाता है , उसका काम आसानी से नहीं हो पाता है , लेकिन दबदबे वालों का काम आसानी से हो भी जाता है और काफी इज्जत भी दी जाती है . आज समाज को बांटने का काम किया जा रहा है , जगह जगह धर्म और जाति के नाम पर दंगे कराये जा रहे हैं , बहु बेटियों के इज्जत लूटे जा रहे हैं ,बच्चो के साथ अमानवीय ब्यवहार किया जा रहा , आज एक तरफ दुनिया भूमंडलीकरण की तरफ बढ रही है वही एक तरफ हम जातिवाद , क्षेत्रवाद एवं सम्प्रदायवाद को न्योता दे रहे हैं . आखिर ऐसा क्यों हो रहा है ? … मानव की स्वार्थ परता सारी बुराइयों की जड़ है , मानव अपने स्वार्थो को पूरा करने के लिए दानव बन गया है .

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