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गणतंत्र दिवस , स्वतंत्रता दिवस या झूठे कसमें वादों का दिवस .

LIFE VIEW
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प्रिय पाठकों ,
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ,
मित्रों ,
देश में हम लोग हर वर्ष गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस मनाते आ रहें हैं , वीर सपूतों के बलिदान की गुणगान करते आ रहे . हर गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस को हम कसमें खाते हैं की आओ मिलजुलकर भ्रष्टाचार को दूर करें , देश में अमन व शांति कायम करें ताकि शहीदों की सच्ची श्रधांजलि दी जा सके, लेकिन हम अपने उन वादों पर कितना खरा उतरते हैं यह जग जाहिर है . क्या हमारे वचनों का कोई वजूद नहीं रह गया है ? क्या हम इतने नीचे स्तर तक गिर चुके हैं की अपनी जुबान की अहमियत को भी नहीं पहचान रहे हैं . इसी देश की परंपरा रही है की प्राण जाये पर वचन न जाये , क्या हम अपने पूर्वजों के दिखाए रास्ते पर भी नहीं चल सकते ? अगर हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी हम लोगों की तरह ही सोच रखते तो क्या देश आजाद हो पाता ? क्या उनके घर समस्याएं नहीं थीं ? उनके नाते रिश्ते नहीं थे ? उनकी अपनी खुद की महत्वाकांक्षाएं नहीं थीं ? लेकिन उन्हों ने अपनी सारी महत्वाकांक्षाओं को भारत माता की आजादी के लिए कुर्बान कर दिया और सिर्फ एक ही महत्वाकांक्षा रह गयी वह थी भारत माता की आजादी . उन्होंने तो अपना फर्ज अदा कर दिया , लेकिन हम क्या कर रहे हैं ?— उन्ही के लहू को बेचने से भी नहीं कतरा रहे हैं . चन्द रुपये पैसे एवं ऐश्वर्य के लिए अपने जमीर को भी गिरवी रखने से बाज नहीं आ रहे हैं . जहाँ हमारे वीर सपूत लोगों को एकजूट करने के लिए , उनका विश्वास हासिल करने के लिए अपने जान को न्योछावर करने को तैयार थे वहीँ हम अपने चन्द स्वार्थों के लिए लोगों का खून बहाने पर आमादा हैं . हमें किसी जाति, धर्म , देश से प्रेम नहीं रह गया है , हमें तो केवल अपने स्वार्थों के प्रति प्रेम है , चाहे उससे किसी देश , जाति , धर्म को कितना ही नुकसान क्यों न उठाना पड़े . जिस सोच से हमारे वीर सपूतों ने देश को आजाद कराया ; वही सोच फिर से हमारे अन्दर पैदा होनी चाहिए , तभी उनकी सच्ची श्रधांजलि होगी .
देश आज भ्रष्टाचार रुपी दानव से जूझ रहा है , हम सभी कहते है की भ्रष्टाचार दूर होना चाहिए ; लेकिन हम केवल दूसरे का भ्रष्टाचार देखते हैं , अपना भ्रष्टाचार भूल जाते हैं कि हम जो कर रहे हैं वह कितना सही है . सबसे पहले अपने गिरेबाँ में झांकना होगा कि हम किस हद तक भ्रष्टाचार से दूर हैं . आज भ्रष्टाचार हमारी नियति में समां गया है . सभी लोग अपने स्कूल कालेज में नैतिकता कि पाठ पढते है लेकिन जब वे उस संस्था से बाहर जाकर किसी ओहदे पर आसीन होते हैं तो बदल कैसे जाते हैं . इसमें उनका अपना केवल हाथ नहीं होता है बल्कि अपना समाज ही इतना विकृत हो चुका है कि हर कोई पूछने वाला यही पूछता है कि अरे भाई आपकी उपरी इनकम क्या है ? यह नहीं पूछता कि आपकी सेलरी क्या है ? यानि कि उस व्यक्ति के अन्दर हम भ्रष्टाचार का बीज बोना शुरू कर देते हैं , उसके अन्दर अवैध तरीके से इनकम प्राप्त करने कि इच्छा को हम बलवती करते जाते हैं . यहीं तक नहीं उस ब्यक्ति के वर्क ग्रुप के लोग भी सही काम करने में बाधक बनते हैं और कमेन्ट करते हैं कि “नया मुल्ला बहुत प्याज खाता है ” . और तरह तरह से प्रताणित करने का काम किया जाता है. जिससे ब्यक्ति कुंठित होने लगता है ,और अंततः भ्रष्ट होने पर मजबूर हो जाता है , लेकिन हमें दृढ इच्छा शक्ति कि आवश्यकता है ;जिससे कि कोई हमें डिगा न सके . हमें अपने अन्दर सार्थक सोच पैदा करनी होगी , अपने कर्तव्यों का पालन पूर्णतया इमानदारी से करनी होगी . क्योंकि बूंद बूंद से ही घड़ा भरता है यदि एक ब्यक्ति में सुधार होगा तो धीरे धीरे पूरा समाज सुधर जायेगा , हमें बुरे कर्मों कि तरफ न देखते हुए सिर्फ अच्छे कर्मों का अनुशरण करना होगा .
हमें अपनी पहचान बनानी होगी , स्वार्थों कि बलि चढ़ानी होगी .
हंस कर या रो कर ही सही देश कि इज्जत बचानी होगी .
आइये आज हम ये संकल्प लें कि हम अपने मनोभावों को परिवर्तित करेंगें , स्वार्थ पर अंकुश लगायेंगें , कर्त्तव्य पथ पर अडिग रहेंगे , किसी के बहकावे में नहीं आयेंगे , हम अपने नैतिक मूल्यों को नहीं भूलेंगें , देश कि रक्षा के लिए अपने प्राणों कि बाजी लगा देगें . तभी जाकर हम वास्तव में वीर सपूतों कि सच्ची श्रधांजलि अर्पित करने के काबिल होंगे , अन्यथा ये झूठी श्रधांजलि ही साबित होगी l
जय हिंद ……….. जय भारत ………………..

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